छात्रों के नहीं डिगे इरादे, दिखी प्रशासनिक संवेदनहीनता
राजकीय पीजी कॉलेज गेट पर 11वें दिन भी धरना
सोनभद्र/ ओबरा तेज आंधी और भारी बारिश में उधिराये टेंट के बाद भी दस सूत्रीय मांगों को लेकर राजकीय पीजी कॉलेज गेट पर विद्यार्थियों के हौसले और बुलन्द हो गए हैं, वहीं पिछले 11 दिनों से चले अनिश्चितकालीन धरना पर प्रशासनिक संवेदनहीनता नगर में चर्चा का विषय बन गई है। पिछले दिनों भी बारिश में आंदोलित छात्र मांगों के समर्थन में डटे रहे। धरना पर छात्र नेता मुकेश जायसवाल, राजेश यादव” राका”,कारिमूल जमा अंसारी, राजू , हरज्योत सिंह आदि जमे हुए हैं।
धरनारत छात्रों ने संयुक्त रूप से कहा कि छात्र हित की अनदेखी कर रहे प्रशासन की संवेदनहीनता उजागर हो गई है। तेज आंधी से जहां ओबरा व आस-पास के क्षेत्रों में टीन शेड आदि के घरों को क्षति पहुंची है, वहीं ओबरा के कई क्षेत्रों में शनिवार की भोर से बिजली व्यवस्था दिनभर बाधित रही। इसके बाद भी प्रशासनिक स्तर पर वाजिब पहल नहीं होने से शांतिपूर्ण चल रहे आंदोलन को क्षति पहुंच रही है। प्रशासनिक संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है। हम सब विद्यार्थी बिना मांगें पूरी हुए धरना नहीं समाप्त करेंगे।
आंदोलन को समर्थन दे रहे छात्र संघ अध्यक्ष अमरेश यादव, उपाध्यक्ष दीपक कुमार, पूर्व उपाध्यक्ष विमलेश पाठक, पूर्व महामंत्री अजित कनौजिया आदि ने कहा है कि हम सब मांगों को लेकर अत्यंत गम्भीर है। इसके बाद भी कॉलेज व जनपद प्रशासन सूझ-बूझ का परिचय नहीं दे रहा है। पिछले 11 दिनों से चल रहे आंदोलन के बाद भी प्रशासन की नींद नहीं खुलना चिंता का सबब बन गया है। शीघ्र ही विद्यार्थियों की मांगों पर धरने के साथ ही आंदोलन को और तेज करने की विद्यार्थियों की मजबूरी बनती जा रही है। शांतिपूर्ण चलाए जा रहे आंदोलन की अनदेखी से उपज रहे हालात की पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी। दस सूत्रीय मांगों में सभी संकायों में सीटों की वृद्धि कर अभ्यथियों का प्रवेश लिया जाए। सभी रिक्त पदों व मान्यता प्राप्त विषयों पर प्राध्यापकों की शीघ्र नियुक्ति की जाए। कैम्पस में बन्द पड़ी वाईफाई व्यवस्था को शीघ्र चालू करें व सभी विषयों में स्मार्ट क्लास की शुरूआत की जाए। उच्च शिक्षा विभाग व विश्वविद्यालय से अनुमति लेकर स्नातकोत्तर में एमकाम, अंग्रेजी, होम साइंस, गणित, जूलॉजी, बॉटनी आदि व व्यावसायिक शिक्षा में विधि, बीएड, बीपीएड आदि की मान्यता लेकर कक्षाएं चलाई जाए। सभी छात्रों का प्राइवेट बसों में पूरा किराया माफ किया जाय। पुस्तकालय में पाठ्य क्रम की नई पुस्तकें व प्रतियोगी परीक्षाओं की विविध पुस्तक, पत्रिकाएं, महत्त्वपूर्ण अखबार आदि नियमित उपलब्ध हो। सभी प्रवेशार्थियों के लिए छात्रावास बने व मौजूद छात्रावास में सुविधाओं को बढ़ाया जाए। गैर शैक्षणिक कार्य के लिए पीजी कॉलेज की भूमि में नव निर्माण सदैव के लिए प्रतिबंधित हो और परिसर को राजकीय पीजी कॉलेज को पूर्ण स्वामित्व दिया जाए। पर्याप्त उपलब्ध भूमि के आधार पर केंद्र व प्रदेश सरकार राजकीय पीजी कॉलेज ओबरा को विश्वविद्यालय बनाने की वाजिब करे पहल आदि शामिल है। बता दें आंदोलन को विभिन्न राजनीतिक दल जनप्रतिनिधि धरना स्थल पर आकर समर्थन पहले ही दे चुके हैं।
सोनभद्र
रंगेश सिंह